कोलकाता: जगद्धात्री पूजा 2024 का आज महाशष्ठी है! इस दिन को खास महत्व दिया जाता है, और इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि का समय भी जानना जरूरी है। जगद्धात्री देवी को संसार की पालनहार शक्ति माना जाता है और उन्हें चार भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजा जाता है, जिनके हाथों में शंख, चक्र, धनुष और बाण होते हैं। कहा जाता है कि जगद्धात्री देवी का अवतार देवताओं के अहंकार को तोड़ने के लिए हुआ था। महिषासुर वध के बाद देवता अहंकारी हो गए थे, और देवी ने उन्हें एक परीक्षा में डाला था, जिसमें देवताओं को अपनी गलतियों का अहसास हुआ। तभी से वे देवी जगद्धात्री की पूजा करने लगे। एक अन्य कथा के अनुसार, देवी ने हस्तिरूपी करिंद्रासुर नामक असुर का वध किया, जिसके बाद देवी के वाहन सिंह के नीचे हाथी की छवि भी होती है। जगद्धात्री पूजा का आयोजन मुख्य रूप से चंदननगर और कृष्णनगर में बहुत धूमधाम से किया जाता है। इन शहरों में पूजा के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं।
आइए अब जानते हैं इस साल 2024 में जगद्धात्री पूजा की अष्टमी और नवमी तिथियों के बारे में:
जगद्धात्री पूजा की अष्टमी तिथि:
2024 में 22 कार्तिक (शुक्रवार) से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है।
- अष्टमी तिथि 8 नवंबर 2024 (शुक्रवार) को रात 11:15 बजे से शुरू हो रही है।
- अष्टमी तिथि का समापन 9 नवंबर 2024 (शनिवार) को रात 10:46 बजे होगा।
इसके अलावा, एक और मत के अनुसार:
- अष्टमी तिथि 8 नवंबर 2024 को रात 7:48 बजे शुरू होगी और 9 नवंबर 2024 को सुबह 6:20 बजे समाप्त होगी।
जगद्धात्री पूजा की नवमी तिथि:
नवमी तिथि की शुरुआत 9 नवंबर 2024 (शनिवार) को रात 10:46 बजे से होगी।
- नवमी तिथि का समापन 10 नवंबर 2024 (रविवार) को रात 9:02 बजे होगा।
एक अन्य मत के अनुसार:
- नवमी तिथि 9 नवंबर 2024 को रात 6:20:40 बजे शुरू होगी और इसका समापन 10 नवंबर 2024 को 2:33 बजे (दोपहर) होगा।
इस तरह जगद्धात्री पूजा 2024 का आयोजन और तिथियाँ बेहद महत्वपूर्ण हैं, और इस पूजा के दौरान विभिन्न स्थानों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। पूजा में देवी जगद्धात्री की आराधना करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।