

नई दिल्ली: टमाटर और प्याज के बाद देशभर में अब लहसुन रूला रही है। जिसके दामों ने महंगाई के मारे लोगों का 'सिरदर्द' बढ़ा दिया है और सरकार ने इसे कंट्रोल करने की तैयारी शुरू कर दी है। सर्दियों में लहसुन की खपत काफी बढ़ जाती है। देश के कई बाजारों में लहसुन की रिटेल कीमतें 300 से 400 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक थोक बाजार में भी इसकी कीमतें 150 रुपए किलो तक जा चुकी हैं, वहीं अच्छी क्वालिटी की लहसुन के दाम 220 से 250 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं।
मौजूदा वक्त में लहसुन की कीमतें बढ़ने की प्रमुख वजह इसका स्टॉक कम होना है। वहीं इसके प्रोडक्शन एरिया में पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने की वजह से उत्पादन कम हुआ है। जबकि साल की दूसरी साइकिल की फसल को मिचौंग चक्रवात के चलते बनी मौसमी परिस्थितियों की मार झेलनी पड़ी है। मुंबई की कृषि उत्पादन मंडी समिति के डायरेक्टर अशोक वालुंज ने निजी मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि लहसुन की सप्लाई के लिए बाजार गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश पर निर्भर है, लेकिन आपूर्ति में कमी आई है। इसलिए कीमतें बढ़ी हैं। हालांकि दिसंबर के अंत तक नई फसल के मार्केट में आने से कीमतें नीचे आने की उम्मीद है।
रिटेल कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने भी तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने पहले तो प्याज के निर्यात पर मार्च तक के लिए बैन लगा दिया है, जिसकी कीमत दिल्ली के बाजारों में 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। वहीं बफर स्टॉक के लिए सरकार ने 5 लाख टन प्याज खरीद करने का भी ऐलान किया है। वहीं लहसुन, गेहूं और अन्य खाद्य सामग्रियों के दाम नीचे लाने के लिए सरकार जमाखोरों पर कार्रवाई कर रही है। साथ ही बड़े रिटेलर्स के लिए नियम भी कड़े किए हैं।