सावधान ! कालीघाट में पंडा के वेश में घूम रहे हैं महाठग

सावधान ! कालीघाट में पंडा के वेश में घूम रहे हैं महाठग
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पूजा के पहले कभी न दें दक्षिणा
सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : सावधान ! कालीघाट में पंडा के वेश में कुछ महाठग घूम रहे हैं। इनसे सावधान रहने की जरूरत है। इस मामले में सन्मार्ग को काफी शिकायतें मिल रही थीं, जब इसकी छानबीन की गयी तो पाया गया कि यह सच है। ऐसे में इतने सारे पंडितों और पूजा कराने वालों के बीच में इन महाठगों को ढूंढ़ पाना थोड़ा मुश्किल काम है। इस बारे में कुछ श्रद्धालुओं से बात करने पर पता चला कि इनमें से कुछ महाठग इनसे पहले ही दक्षिणा के रुपये ले लिये और फिर मंदिर में पूजा कराने का आश्वासन दिया। मंदिर की सीढ़ी पर होने वाली भीड़भाड़ का फायदा उठाकर ये पंडा के वेश में महाठग वहां से चंपत हो गये। सिर्फ 5 से 10 मिनट के भीतर एक परिवार समेत कुछ 6 लोगों से प्रति 100 रुपये करके 600 रुपये ठग लिये। ये तो हुई एक परिवार की कहानी।
छोटे-छोटे ग्रुप को करते हैं टार्गेट
कालीघाट स्थित दुकानदारों के मुताबिक अक्सर कई श्रद्धालुओं को ऐसी शिकायतें करते हुए देखा गया है। इस बारे में एक श्रद्धालु ने बताया कि वह हुगली से यहां दर्शन करने आया था। आस्था और विश्वास के नाम पर इस तरह की ठगी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वहीं पास खड़े पुलिस कर्मियों से शिकायत करने पर उनका कहना था कि थाने में जाकर इसकी शिकायत करवाएं। आस्था और धार्मिक स्थलों पर अगर कोई 100 – 200 की ठगी कर रहा है, तो कोई इसके लिए थाने में जाने को तैयार नहीं होता। लोग मायूस होकर अपने घर वापस चले जाते हैं।
भीड़भाड़ वाले दिन ज्यादा करते हैं ठगी
वहां के दुकानदारों की माने तो पंडा के वेश में कुछ ठग काफी सक्रिय हो गये हैं। भीड़भाड़ वाले दिन ये श्रद्धालुओं को अपना शिकार बनाते हैं। अगर 5 मिनट में ये 100 से लेकर 500 की ठगी कर रहे हैं तो फिर पूरे दिन में ये कितने हजार लोगों से ठग लेते होंगे, यह समझा जा सकता है। अगर प्रशासन थोड़ा चौकस रहे तो इस तरह की घटना को रोका जा सकता है।
ऐसे करते हैं ठगी
जो लोग भीड़ वाली लाइन में खड़ा नहीं होना चाहते या फिर वीवीआईपी दर्शन चाहते हैं, उन्हें ये लूट लेते हैं। ये खुद चलकर श्रद्धालुओं के पास आयेंगे और कहेंगे कि इतने रुपये दीजिए आपको वीआईपी दर्शन करवाता हूं। इसके बाद मंदिर प्रांगण में ऐसे छोटे -छोटे दो से तीन ग्रुप ये पकड़ते हैं और कहते हैं कि दक्षिणा पहले दे दीजिए भीड़ बहुत है, इंतजार नहीं कर सकता। लोग भी यही सोचते हैं कि अब कौन नया पंडा ढूंढे। इन पंडा रूपी ठग के झांसे में आकर उन्हें रुपये देकर वे मंदिर की ओर पंडा के पीछे-पीछे चलने लगते हैं। मंदिर की सीढ़ियों पर भीड़भाड़ का फायदा उठाकर ये वहां से चंपत हो जाते हैं।

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