

नई दिल्ली: आज यानी बुधवार(17 जनवरी) को गुरु गोबिंद सिंह साहिब की जयंती है। यह दिन सिख धर्म के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन देश के सभी गुरुद्वारों में भव्य लंगर का आयोजन होता है। लोग आज के दिन गुरुद्वारे जाकर माथा टेकते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी की सिख धर्म में बहुत बड़ी उपाधि है। हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रमुख बाते बताने जा रहे हैं और उनके दिए हुए उपदेशों पर भी एक झलक जरूर डालेंगे।
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार राज्य के पटना शहर में हुआ था। उनका निधन 7 अक्टूबर 1708 को आनंदपुर साहिब में हुआ था। यह सिख धर्म के दसवें गुरु थे। इनके पिता का नाम गुर तेग बहादुर था और वह सिख धर्म के नौवें गुरु थे। गुरु गोबिंद सिंह साहिब बचपन से ही बुद्धिमान और साहसी थे। उन्हें हिंदी, संस्कृत, फारसी और उर्दू भाषाएं भी आती थीं। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना भी की थी। जिनमें जफरनामा और चंडी दी वार जैसे सिख धर्म ग्रंथ शामिल हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी वाले दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोबिंद साहिब ने खालसा पंथ के सदस्यों को पंज ककार (पांच प्रतीक) धारण करने के लिए कहा था।