आईसीएमआर ने चेन्नई में भारत का पहला मधुमेह बायोबैंक स्थापित किया

सांकेतिक तस्वीर
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नयी दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मद्रास मधुमेह अनुसंधान फाउंडेशन (एमडीआरएफ) के सहयोग से चेन्नई में देश का पहला मधुमेह बायोबैंक स्थापित किया है, जो वैज्ञानिक अनुसंधान को समर्थन देने के उद्देश्य से जनसंख्या आधारित जैविक नमूनों का भंडार है। चेन्नई में स्थापित बायोबैंक एमडीआरएफ का उद्देश्य आईसीएमआर की अनुमति से वैज्ञानिक अध्ययनों में सहायता के लिए जैव नमूनों को इकट्ठा करना, संसाधित करना, संग्रहित करना और वितरित करना है। एमडीआरएफ और डॉ. मोहन मधुमेह विशेषज्ञ केंद्र के अध्यक्ष डॉ. वी. मोहन ने कहा कि बायोबैंक मधुमेह के कारणों, भारतीय प्रकार के मधुमेह और संबंधित विकारों के विभिन्न रूपों पर उन्नत शोध की सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि बायोबैंक में रक्त के नमूने हैं, जिन पर आईसीएमआर वित्त पोषित दो अध्ययन किये जा चुके हैं । पहला अध्ययन इंडिया डायबिटीज (आईसीएमआर-इंडियाबी) अध्ययन जो 2008 से 2020 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चरणों में आयोजित किया गया था जबकि दूसरा 'भारत में कम उम्र में मधुमेह से पीड़ित लोगों की रजिस्ट्री' है, जिसे 2006 में शुरू किया गया था और अब भी जारी है। मोहन ने कहा कि युवाओं में विभिन्न प्रकार के मधुमेह, जैसे टाइप 1, टाइप 2 और गर्भावधि मधुमेह के रक्त के नमूनों को भविष्य के अध्ययन और शोध के लिए संग्रहित किया गया है। बायोबैंक की स्थापना की प्रक्रिया लगभग दो साल पहले शुरू हुई थी।

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