क्या है USAID, भारत में क्यों हो रही है इसकी चर्चा ?

भारत की स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया पर होता है इसका असर
क्या है USAID, भारत में क्यों हो रही है इसकी चर्चा ?
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नई दिल्ली - अमेरिका के राष्ट्रपति पद को संभालने के बाद ट्रंप लगातार सरकारी खर्च को कम करने में जुटे हैं। इसकी जिम्मेदारी उन्होंने एलन मस्‍क को दे रखी है। एलन मस्क सरकारी दक्षता विभाग के मुखिया हैं। मस्क कर्मचारियों की छंटनी करने और तमाम फिजूलखर्ची पर रोक लगाने में जुटे हुए हैं।

यह करते समय मस्क के निशाने पर सबसे पहले आया यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट। इसके तहत दुनियाभर के कई देशों को मिल रही फंडिंग पर मस्क रोक लगाने की तैयारी में हैं।

क्या है USAID ?

आपको बता दें कि यूएसएड अमेरिका की विदेशी सहायता एजेंसी है। इसकी मदद से अमेरिका दुनियाभर के कई देशों को अर्थिक मदद पहुंचाता है। कई बार अमेरिका पर यूएसएड के माध्यम से अपना एजेंडा चलाने का आरोप लगा है। दुनियाभर के 60 से अधिक देशों में युएसएड के कार्यालय हैं। इस एजेंसी में लगभग 10 हजार से अधिक लोग काम करते हैं। इनमे से ज्यादा तर कर्मचारियों की तैनाती विदेशों में है।

USAID कैसे काम करता है ?

यूएसएड जमीन पर सीधे काम नहीं करती है। यह एजेंसी कई दूसरे संगठनों से समझौता करता है। उनके मााध्यम से विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और स्वास्‍थ्य से जुड़े कार्यक्रमों की फंडिंग की जाती है। अमेरिका द्वारा ऐसा दावा किया जाता है कि यूएसएड स्वास्‍थ्य कार्यक्रमों में सबसे अधिक खर्च करता है।

कितना है इसका बजट ?

वर्तमान में यूएसएड का सालाना बजट 40 बिलियन डॉलर का है। मगर आपको बता दें कि अमेरिका की इस एजेंसी ने वर्ष 2023 में विभिन्न देशों में 68 बिलियन डॉलर से अधिक की धनराशि खर्च की है। इसमें मजेदार बात यह है कि यह राशि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटे से अधिक है। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटा 43.65 बिनियन डॉलर का है।

कब हुई थी स्‍थापना ?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने 1961 में यूएसएड की स्‍थापना की थी। इसकी स्‍थापना विदेशी सहायता अधिनियम के तहत की गई थी। इसके बाद 1998 में इसे कार्यकारी एजेंसी का दर्जा दिया गया। अब अगर ट्रंप इस एजेंसी को पूरी तरह से बंद करना चाहते हैं तो उन्हें अमेरिकी कांग्रस में एक नया कानून बनाना होगा।

ट्रंप का कहना क्या है ?

यूएसएड को लेकर ट्रंप का अलग नजरिया है। उनका मानना है कि अमेरिकी करदाताओं का पैसा दूसरे लोगों पर क्यों खर्च किया जाए ? उनका मानना है कि अगर इसे खर्च ही करना है तो अमेरिका के लोगों पर खर्च करना चाहिए। अब तक ट्रंप कई बार यूएसएड को बंद करने की बात कर चूके हैं। ट्रंप का कहना है कि यूएसएड का खर्च पूरी तरह से अस्पष्ट है। उन्होंने यूएसएड से जुड़ी एक सूची साझा की और कहा कि यह फिजूलखर्ची और दुरुपयोग का सबूत है।

मस्क और ट्रंप का क्या है तर्क ?

कुछ समय पहले यूएसएड ने वियतनाम को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 2.5 मिलियन डॉलर की सहायता दी। इसके साथ ही सर्बिया में एलजीबीटीक्यु समूह को 1.5 मिलियन डॉलर की मदद पहुंचाई। ट्रंप और मस्क का तर्क है कि यूएसएड के खर्च के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। धन किसको दिया जाता है और कहा कैसे खर्च होता है इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है। यह इस वजह से क्योंकि यूएसएड दूसरे संगठनों को फंडिंग देती है। धनराशि पाने वाले संगठन आगे क्या करते हैं इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

भारत में क्यों हो रही है इसकी चर्चा ?

अमेरिका के दक्षता विभाग ने हाल ही में भारत की 21 मिलियन डॉलर की मदद रोक दी है। यह धनराशि यूएसएड भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने में खर्च करता था। इसमें चौकाने वाली बात यह है कि यह स्पष्ट ही नहीं है कि इतनी बड़ी धनराशि किसे दी गई ? इससे एक बात तो साफ हो गई है कि अमेरिका धनबल से भारत की स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया में दखल देता रहा है।

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