कोलकाता : तुलसी के पौधे से हम भलीभांति परिचित हैं। यह पवित्र, धार्मिक दूषित वातावरण का शोधक एवं औषधीय गुणों से भरपूर है। उत्तर भारत की धार्मिक आस्था वाली महिलाएं इस की महत्ता पर विशेष बल देती हैं। वे नित्य स्नान कर तुलसी के पौधे में पानी एवं शाम में दीया जरूर दिखाती हैं। इसके अतिरिक्त यदि हमारी मां-बहनें तुलसी की उपयोगिता या सेवन विधि की जानकारी हासिल कर लें तो स्वयं को स्वस्थ रखने के साथ-साथ पूरे परिवार को निरोग रख सकती हैं।आयुर्वेद में अनुभवों के आधार पर तुलसी के चमत्कारिक प्रयोग इस प्रकार हैं। छांव में सुखायी गई तुलसी के पत्तों के चूर्ण का चौथाई चम्मच, ताजा अदरक दो ग्राम, सौंठ चूर्ण चौथाई चम्मच और काली मिर्च सात नग, इन सभी सामग्रियों को सौ ग्राम दूध और एक चम्मच चीनी डालकर इस काढ़े युक्त पेय को गरम-गरम पीकर आराम करें। यह शीत व शरद से उत्पन्न सिर दर्द, नाक से पानी बहना, सर्दी-जुकाम, पीनस, श्वास नली में सूजन, जोड़ों में दर्द, साधारण ज्वर, मलेरिया, बदहजमी आदि रोगों में राम बाण औषधि है। बच्चे को आधी मात्रा में इसे देना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनेक प्रकार के शारीरिक विकारों में इसके अलग-अलग सेवन विधियां हैं।