Bankura News : तृणमूल नेता को दिये थे 20 लाख, न नौकरी मिली न रुपए, कर ली आत्महत्या

Bankura News : तृणमूल नेता को दिये थे 20 लाख, न नौकरी मिली न रुपए, कर ली आत्महत्या
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पूर्व पंचायत प्रधान के पति ने की आत्महत्या, तृणमूल नेता पर लगा उत्पीड़न का आरोप

बांकुड़ा : नौकरी के लिए पंचायत समिति के पूर्व कर्माध्यक्ष व तृणमूल कांग्रेस नेता को दिए 20 लाख रुपये वापस नहीं मिलने के कारण पूर्व पंचायत प्रधान के पति ने आत्महत्या कर ली। यह घटना कोतुलपुर थाना अंतर्गत देशरा-कोयालपाड़ा इलाके में घटी है। मामला दर्ज होते ही अभियुक्त नेता फरार है। मृतक का नाम धरमदास मंडल (50) है। बताया जा रहा है कि वर्ष 2013 -2018 टर्म में तृणमूल कांग्रेस परिचालित कोतुलपुर ब्लॉक के देशरा-कोयालपाड़ा ग्राम पंचायत की प्रधान रूपा मंडल थीं। राजनीतिक सूत्र से अभियुक्त संदीप बनर्जी के साथ रूपा का परिचय हुआ। संदीप वर्ष 2018 -2023 के बीच कोतुलपुर पंचायत समिति के कर्माध्यक्ष (स्वास्थ्य) के पद पर रहा। पूर्व प्रधान रूपा मंडल ने कहा कि वर्ष 2017 में जब वह प्रधान थीं, उस वक्त संजीव से परिचय हुआ था। उसने उन्हें एसएससी ग्रुप सी और डी पद के लिए रुपये के बदले नौकरी दिलाने की बात कही। वह और उनके पति संदीप के झांसे में आ गये। बेटे और दो परिजनों के नौकरी के लिए उसे 20 लाख रुपये दिये। रुपये लेने के बाद उसने कुछ महीनों में नौकरी होने की बात कही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद उनलोगों ने नौकरी की आस छोड़ते हुए संदीप से रुपये वापस करने को कहा। शुरू में तो वह रुपये वापस करने की बात कहता रहा। वहीं बाद में धमकी देने लगा। इधर जिन दो परिजनों से रुपये लिए गए थे, वे अपने रुपये वापस मांग रहे थे। ऐसे में उनके पति ने पैतृक जमीन बेचकर दोनों को रुपये लौटाये। बेटे की नौकरी के लिए बैंक से ऋण भी लिया था। वह चुका नहीं पाये। संदीप के खिलाफ उन्होंने विधायक व अपनी पार्टी के ब्लॉक नेताओं को भी बताया लेकिन कहीं से कोई सहयोग नहीं मिला। जमीन चले जाने एवं रुपये वापस नहीं मिलने के कारण अंत में उनके पति ने फांसी लगा ली। मृतक के पुत्र ने संदीप बनर्जी के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। भाजपा नेता देवप्रिय विश्वास ने तृणमूल पर निशाना साधते हुए कहा कि तृणमूल में ऐसे असंख्य संदीप हैं जो आमजन ही नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी के लोगों को प्रताड़ित करते हैं। तृणमूल के लोग अपनी ही पार्टी के नेताओं से शोषित होने लगे हैं तो आमजन की सुरक्षा कहां होगी।

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