

कोलकाता : हर साल नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का पूजन किया जाता है, जिसे कन्या पूजन कहा जाता है। मान्यता है कि कन्या पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और साधक को धन तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व अब समाप्ति की ओर है, और अष्टमी-नवमी पर विशेष पूजा आयोजित की जाएगी। हालांकि, इस बार अष्टमी और नवमी की तिथि को लेकर कुछ असमंजस है। पंचांग के अनुसार, 10 अक्टूबर 2024 को सप्तमी और अष्टमी एक ही दिन पड़ रही हैं। शास्त्रों के अनुसार, जब सप्तमी और अष्टमी एक दिन होती हैं, तो अष्टमी का उपवास नहीं रखना चाहिए। इसलिए, इस वर्ष अष्टमी-नवमी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार, 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के कारण इस दिन मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जा सकती है। 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 तक अष्टमी तिथि रहेगी। इस मुहूर्त में व्रत खोलने वाले साधक उपवास समाप्त कर सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के नौ दिनों का व्रत रखने वाले साधकों को कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। माना जाता है कि माता के प्रसाद से बने भोग से ही व्रत का पारण करना चाहिए, जिससे उपवास का पूर्ण फल प्राप्त होता है। कन्या पूजन के लिए पहले मां दुर्गा की आराधना करें। फिर उन्हें हलवा-पूरी का भोग लगाएं। इसके बाद कन्याओं को भरपेट भोजन कराकर दक्षिणा दें। इस प्रक्रिया के बाद आप अपना व्रत का पारण कर सकते हैं।