Captain Anshuman Singh: शहीद कैप्टन की पत्नी ने …

Captain Anshuman Singh: शहीद कैप्टन की पत्नी ने …
Published on

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार (5 जुलाई) को सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को उनकी साहस और वीरता के लिए कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित किया। सेना और अर्धसैनिक बलों के 10 जवानों को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जिसमें से सात को मरणोपरांत इस सम्मान से नवाजा गया। इस दौरान कई भावुक कर देने वाली तस्वीरें सामने आईं, जिसमें किसी के माता-पिता तो किसी की विधवा पत्नी ने जाकर अपने प्रियजनों की तरफ से सम्मान लिया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान 26 सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को शौर्य चक्र भी प्रदान किए गए, जिनमें से सात को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया। कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले जवानों में शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह भी शामिल थे, जिन्हें मरणोपरांत इस सम्मान से नवाजा गया। राष्ट्रपति मुर्मू से इस सम्मान को लेने के लिए उनकी विधवा पत्नी स्मृति सिंह आई थीं, जिनका एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है।

स्मृति सिंह ने नम आंखों से लिया सम्मान

दरअसल, शहीद कैप्टन अंशुमन सिंह की विधवा पत्नी स्मृति सिंह और उनकी मां मंजू सिंह राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह में पहुंची थीं। दोनों लोग शहीद को दिए गए कीर्ति चक्र को लेने के लिए मंच तक गए। इस दौरान बताया गया कि किस तरह कैप्टन ने अपनी जान की परवाह किए बगैर सियाचिन में जरूरी दवाओं, उपकरणों और अन्य जवानों को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी, जिस समय ये बातें बताई जा रही थीं, उस वक्त स्मृति सिंह की आंखों में आंसुओं को साफ देखा जा सकता है। वह नम आंखों से अपने वीर पति के उस किस्से को सुन रही थीं, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जा रहा था। सफेद रंग की साड़ी पहनकर आई स्मृति ने डबडबाई आंखों के साथ राष्ट्रपति से कीर्ति चक्र सम्मान हासिल किया। वीडियो में स्मृति के चेहरे पर दुख, दर्द और पीड़ा को साफ तौर पर देखा जा सकता है। उनके दुख का अंदाजा भी लग रहा है। राष्ट्रपति ने सम्मान देने के बाद स्मृति के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें ढंढास भी बांधी। यही वीडियो अब तेजी से वायरल हो रहा है।

शहीद कैप्टन अंशुमन की बहादुरी का किस्सा सुना रोने लगीं स्मृति

स्मृति सिंह ने अंशुमन से मुलाकात और उनके जीवन के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, "हमारी मुलाकात कॉलेज के पहले दिन हुई थी। हमें पहली नजर में ही प्यार हो गया। एक महीने का बाद उनका सेलेक्शन आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज के लिए हो गया। हमारी मुलाकात इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई थी और वह मेडिकल कॉलेज के लिए सेलेक्ट हो गए। वह बहुत ही ज्यादा बुद्धिमान शख्स थे। एक महीन ने की मुलाकात के बाद ये 8 सालों तक चला लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप था।" स्मृति ने आगे बताया, "उन्होंने मुझसे कहा कि अब हमें शादी कर लेनी चाहिए और हमने ऐसा ही किया। दुर्भाग्य से शादी के दो महीने बाद ही उनकी पोस्टिंग सियाचिन में हो गई। 18 जुलाई, 2023 को हमारे बीच लंबी बातचीत हुई, जिसमें हमने चर्चा की कि हमारे जीवन के अगले 50 साल कैसे होने वाले हैं। हमने घर लेने और बच्चों को लेकर बातें कीं।" शहीद कैप्टन की पत्नी ने जब ये बातें बताईं तो उस वक्त उनका गला रुंध आया।

उन्होंने आगे बताया, "19 जुलाई की सुबह हमें फोन आया कि अंशुमन अब दुनिया में नहीं हैं। शुरु के 7-8 घंटों तक हमें यकीन ही नहीं हुआ। हमें नहीं लग रहा था कि ऐसा हो सकता है, लेकिन फिर उनके शहीद होने की पुष्टि हो गई। मैं खुद को समझाने की कोशिश कर रही थी कि शायद ऐसा नहीं हुआ है।" उन्होंने रोते हुए आगे बताया, "मगर अब मेरे हाथ में कार्ति चक्र है, इसका मतलब है कि ये सच है। वह हीरो हैं। हम अपनी जिंदगी को मैनेज कर लेंगे, उन्होंने भी बहुत मैनेज किया। उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाई, ताकि तीन लोगों के परिवार बच सकें।"

कैसे शहीद हो गए कैप्टन अंशुमन सिंह?

कैप्टन अंशुमन सिंह पंजाब रेजिमेंट की 26वीं बटालियन के सेना मेडिकल कोर का हिस्सा थे। वह ऑपरेशन मेघदूत के तहत सियाचिन में मेडिकल ऑफिसर के तौर पर तैनात थे। पिछले साल 19 जुलाई को सियाचिन के चंदन ड्रॉपिंग जोन में हुई भीषण अग्निदुर्घटना के दौरान अंशुमन ने वहां फंसे लोगों को बाहर निकालने में मदद की। इसी दौरान मेडिकल इंवेस्टिगेशन सेंटर तक आग फैल गई। ये देखकर कैप्टन अंशुमन ने अपनी जान की परवाह किए बगैर उसमें कूद गए। शहीद कैप्टन ने सेंटर में इसलिए दाखिल हुए थे, ताकि वह जीवनरक्षक दवाइयों और उपकरणों को बचा सकें। मगर 17 हजार फीट की ऊंचाई पर चल रही तेज हवाओं की वजह से शेल्टर आग की लपटों से घिर गया। उन्हें आग से बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन उन्हें बचाया ना जा सके। उन्हें सियाचिन में वीरगति हासिल हुई।

संबंधित समाचार

No stories found.

कोलकाता सिटी

No stories found.

खेल

No stories found.
logo
Sanmarg Hindi daily
sanmarg.in