नई दिल्ली : 2025 में दिसंबर में आने वाला कोल्ड मून खगोलशास्त्र के लिहाज से एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण घटना होगा। यह खगोलीय घटना हर साल के आखिरी पूर्णिमा (फुल मून) के समय होती है, और इसे कोल्ड मून कहा जाता है। दिसंबर में यह चांद विशेष रूप से सबसे लंबी रात के आस-पास दिखाई देता है, जब ठंड अपने चरम पर होती है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।
कोल्ड मून क्यों है खास?
कोल्ड मून का महत्व सिर्फ खगोलशास्त्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारत में हर महीने की पूर्णिमा का विशेष महत्व है, और इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान, पूजा-पाठ और दान करने की परंपराएं निभाते हैं। इसके अलावा, यूरोपीय और दक्षिण अमेरिकी देशों में भी फुल मून से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। कोल्ड मून को विभिन्न जगहों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे "यूल मून", "स्नो मून", "विंटर मेकर मून", और "ओक मून" भी कहा जाता है। यह शीतकालीन संक्रांति के समय के आसपास होता है, जब उत्तरी गोलार्ध में सर्दियों का दौर अपने चरम पर होता है।
2025 का कोल्ड मून कब होगा?
2025 में कोल्ड मून 5 दिसंबर को दिखाई देगा। हालांकि, यह खगोलीय घटना स्थान और समय के हिसाब से भिन्न हो सकती है, लेकिन यह हर साल एक खास घटना होती है, क्योंकि इस दिन चांद अपनी पूरी गोलाई में रात भर चमकता है। इसे एक "रेयर कॉस्मिक वंडर" माना जाता है, क्योंकि यह रात साल का सबसे लंबा फुल मून होता है।
कोल्ड मून का इतिहास
कोल्ड मून का नाम पहले मोहॉक जनजाति ने रखा था। मोहॉक जनजाति के अनुसार, इस समय उत्तरी गोलार्ध में सर्दी अपने चरम पर होती थी, इसलिए इसे "लंबी रात का चांद" भी कहा जाता था। कोल्ड मून के बाद, जनवरी में पहला फुल मून आता है, जिसे "वुल्फ मून" कहा जाता है। यह मून खासकर इस समय भेड़ों के अधिक सक्रिय होने के कारण प्रसिद्ध है। 2025 में वुल्फ मून 14 जनवरी को दिखाई देगा, जो पौष माह की पूर्णिमा के दिन होगा।
इस तरह, 2025 में होने वाला कोल्ड मून और वुल्फ मून दोनों खगोलीय घटनाएं हमें न केवल अपनी प्राकृतिक दुनिया से जोड़ती हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं की भी याद दिलाती हैं। इन अद्भुत खगोलीय घटनाओं को देखना न केवल आंखों को आनंद देगा, बल्कि यह हमारी धरती और आकाश के बीच के संबंध को समझने का एक बेहतरीन अवसर भी है।