सिर्फ 10 प्लॉट खाली, मुसलमानों के पास अपनों को दफनाने के लिए नहीं बची जगह

कई लोग कर रहे हैं विरोध
 सिर्फ 10 प्लॉट खाली, मुसलमानों के पास अपनों को दफनाने के लिए नहीं बची जगह
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नई दिल्ली - इस्लाम धर्म में किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद उसे दफना दिया जाता है। यह इस्लाम धर्म की परंपरा है। भारत, पाकिस्तान, मलेशिया के साथ ही जापान में भी काफी मुसलमान रहते हैं। पिछले कुछ सालों से जापान में मुसलमानों की आबादी काफी बढ़ी है। इस वजह से जापान में मुसलमानों को दफनाने के लिए जगह की कमी पड़ रही है।

जापान में बढ़ी मुसलमानों की आबादी

कई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 तक जापान में मुसलमानों की सख्या 350,000 थी। इनमें से अधिकतर लोग जापान में काम के सिलसिले से आए थे। यह लोग अब यहीं बस गए हैं और अपने घर वापस नहीं जाना चाहते। जैसे-जैसे जापान में मुसलमानों की आबादी बढ़ी वैसे ही वहां मस्जिदों की संख्या भी बढ़ गई। जापान में वर्तमान में कुल 149 मस्जिद हैं। वहीं पूरे जापान में मृतकों को दफनाने के लिए मात्र 10 ही प्लॉट खाली हैं।

मूल जापानी कर रहे हैं विरोध

जापान में मृतकों को दफनाने के लिए मुसलमानों की तरफ से जमीन की मांग की गई है। इसको लेकर मूल जापानी लोग विरोध कर रहे हैं। कुछ‌ दिन पहले मियागी प्रांत के एक निवासी ने गवर्नर योशीहीरो मुराई से कब्रिस्तान बनवाने के लिए एक प्लॉट देने की मांग की थी। वहीं मियागी प्रांत में कब्रिस्तान के विरोध में अबतक 400 से अधिक शिकायत दर्ज हो चुकी हैं। लोगों का मानना है कि यह स्वास्‍थ्य के लिए खतरा हो सकता है।

कब्रिस्तान के प्रस्ताव का लंबे समय से विरोध कर रहे मेयर अबे तेत्सुया ने चुनाव जीतने के बाद कहा कि ' यह शहर के लिए सिर्फ एक मुद्दा नहीं है। हमें राष्ट्रीय सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है। यह अध्यादेशों और संवैधानिक समस्या का मामला है।' 

गवर्नर ने जताई रजामंदी

आपको बता दें कि गवर्नर योशीहीरो मुराई ने कब्रिस्तान बनाए जाने पर अपनी रजामंदी जताई है। उन्होंने कहा कि वह अपने इलाके में कब्रिस्तान बनाने पर विचार कर रहे हैं।

उन्होंने देश में कब्रिस्तान बनाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा‌ कि ' मुझे लगता है कि जापानी सरकार को बहुसंस्कृति समाज के बारे में सोचना चाहिए। भले ही मेरे बारे में बेहद बुरी बातें कही जाएं, लेकिन हमें इसको लेकर कुछ जरूर करना होगा।' 

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