कोलकाता : खरमास हिंदू धर्म में एक विशेष समय होता है, जो हर साल दो बार पड़ता है। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। वर्ष 2024 का आखिरी खरमास 16 दिसंबर (रविवार) से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 (बुधवार) को समाप्त होगा, जो मकर संक्रांति के साथ खत्म होगा।
खरमास का महत्व
खरमास मुख्य रूप से सूर्य गोचर से जुड़ा होता है। मान्यतानुसार, इस समय सूर्य देव उत्तरायण नहीं होते, जिससे इसे मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता। सूर्य उत्तरायण होने के बाद ही विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, और मुंडन जैसे कार्य किए जाते हैं।
खरमास में क्या करें?
- धार्मिक कार्य:
- भगवान सूर्यदेव और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- मंदिर में जाकर भक्ति करें और सूर्य को जल चढ़ाएं।
- दान-पुण्य:
- गरीबों की मदद करें और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और दान दें।
- पवित्र स्नान:
- नदियों या पवित्र जल में स्नान करें।
- धार्मिक यात्राएं:
- तीर्थ स्थानों की यात्रा करने को शुभ माना जाता है।
क्या न करें?
- शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, या मुंडन संस्कार न करें।
- किसी भी मांगलिक आयोजन से बचें।
खरमास मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हालांकि, दक्षिण, पश्चिम, और पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इसका पालन नहीं किया जाता।
खरमास का समापन और शुभ कार्य
खरमास समाप्त होने के बाद, सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इसके साथ ही 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस पवित्र समय में धार्मिक आस्था के साथ सूर्यदेव और विष्णु भगवान की आराधना करें, जिससे शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सके।
….रिया सिंह